( तर्ज - अलमस्त पिलाया प्याला ० )
क्यों चौरासी मों लटके ?
मत भोगो आगे झटके हैं ॥ टेक ॥
अकुबत पाना चाहते हो तो ,
कुफर छोड दो हटके ।
कभी न छलबल करो किसीका ,
भजलो रामको डटके हैं ॥ १ ॥
सच्चा मारग धरो मुसाफिर !
क्यों विषयोंमें चटके ?
नेक करो नेकीसे पाओ ,
अमरपुरीके चुटके हैं ॥२ ॥
खोजो खालिक कहाँ समाया ,
राह चलो पट - पटके ।
कायर - बाना छोड़ो अपना ,
नहि तो पावे फटके हैं ॥३ ॥
कहता तुकड्या हरी भजन बिन ,
मिले न पद हरि - मठके ।
सोच सोचकर चलो जगतमें ,
पिओ शांतिके गुटके हैं ॥ ४ ॥
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